Saturday, April 11, 2015

{ ८८३ } {March 2015}




अब डर लगता है अपनी आँखों में सपनों को सजाने से
वो जालिम कहीं मेरे हसीं ख्वाबों को चूर-चूर न कर दे।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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