Wednesday, October 8, 2014

{ ८०२ } {Sept 2014}





दिन बीता अभाव में रात बीती तनाव में
कट रहे दिन जैसे धूप जल रही छाँव में
रिसते ज़ख्म हम जा कर किसे दिखायें
जब जहर भरा हो इंसान के स्वभाव में।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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