Saturday, October 4, 2014

{ ७८५ } {July 2014}





भीड़ ही भीड़ है हर तरफ़ पर मैं तनहा हूँ
सभी अपने हैं पर उन अपनों में मैं कहाँ हूँ।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल





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