ओ. मनमीत, मेरे मन - मन्दिर. में. रह. कर
दूर. न हो जाना. तुम. मुझसे कभी बिछुड़कर
मेरे. दिल की बस. एक तुम ही तो धड़कन हो
आओ प्रीत बढ़ायेंअधरों में अधरों को रखकर।।
दिल. में. नक्श. तुम्हारा. ही. उतारा. है
हर लम्हा. दिल ने तुमको ही पुकारा है
आखिरी. साँस तक जिसे भुला न सकूँ
वो नाम सिर्फ़ तुम्हारा सिर्फ़ तुम्हारा है।।