Monday, March 31, 2014

{ ७४८ } {March 2014}





द्वार पर आई थी फ़ूलों की ऋतु बस अभी-अभी
फ़ूल तो चुन  सका कोई चमन में काँटे बो गया।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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