क्या-क्या न गुजरा इश्क में बताना चाहता हूँ
कोई साज छेड़ो अपने दर्द गुनगुनाना चाहता हूँ
कुछ ख्वाबों की तस्वीर सजाई थी दिल में मैंनें
फ़िर उन ख्वाबों को तसव्वुर में लाना चाहता हूँ।।
ज़ीस्त से बहुत कुछ चाहा था पर मिल न सका
इसलिये ज़िन्दगी को रोज मारता-जिलाता हूँ
अपनों की नजर में इसलिये बहुत बुरा भी हूँ
क्यों कि अपने ऐब मैं किसी से नहीं छुपाता हूँ।।