Friday, January 31, 2014

{ ७२४ } {Jan 2014}





टूटे स्वप्न, बिखरी नींदें रह गईं
गुजरी रातें क्या-क्या न सह गईं
तुमसे बिछड़ कर मुझे ऐसा लगा
जैसे साँसें मुझे अलविदा कह गईं।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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