Friday, November 29, 2013

{ ७०२ } {Nov 2013}




हैवानों के जमघट में ढूँढ़ रहा इन्सानों को
सन्नाटों के मरघट में ढूँढ़ रहा मस्तानों को
हरतरफ़ दफ़न हो रही हैं रूहें टूट रहे हैं दिल
देवगणों के संकट में पूज रहा शैतानों को।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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