Sunday, September 29, 2013

{ ६८५ } {Sept 2013}





दो हृदयों का मिलन देखकर सारा जग जलता है
पर अपने मन पर ही कब किसका बस चलता है
जिस पे रीझे उस पे अपना जीवन अर्पित करना
यह मानव की एक चिरंतन मनभावन दुर्बलता है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment