Sunday, July 21, 2013

{ ६३३ } {July 2013}





शायद ही कोई ऐसी जगह बची होगी
मेरी कल्पना सपने जहाँ नहीं पहुँचे
मेरे गीत कविता के भेष में चल कर
मेरी आहें आँसूँ कहाँ-कहाँ नहीं पहुँचे।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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