Sunday, July 28, 2013

{ ६३८ } {July 2013}





ललक - मचल रहा है आज चाँद भी
चाँदनी भी डोल-मचल न जाये कहीं
तड़प रहा दिल शबो-रोज वस्ल को
बेला मिलन की निकल न जाये कहीं।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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