Wednesday, March 20, 2013

{ ५१० } {March 2013}






सिर्फ़ दूरियाँ ही साथ चलती हैं
रेत, प्यासे हिरन को भरमाये
ज़िन्दगी के फ़रेब में उलझ के
हम कहाँ थे, कहाँ चले आये।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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