Tuesday, February 19, 2013

{ ४८३ } {Feb 2013}





कभी तो महकेगी ही खुशबू मेरे पतझड के उपवन की
रिमझिम खुशियों की फ़ुहार प्यास बुझायेगी मन की
मदमाती मधुऋतु में फ़िर हरियाली ही हरियाली होगी
हृदय तरंगित होगा आग बुझेगी तन-मन-जीवन की।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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