Wednesday, February 27, 2013

{ ४९८ } {Feb 2013}





खुद पर देख कर तेरी निगाहें
उमड कर आने लगीं सर्द आहें
जागा नसीब फ़िर मैकदे का
डाल दी साकी के गले में बाहें।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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