Monday, January 21, 2013

{ ४६३ } {Jan 2013}





अब कहाँ चमन और कहाँ नमन
सब कर डाला मिलकर के गबन
चैन नहीं कहीं किसी भी छाया में
मिले तपन और काँटों की चुभन।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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