Tuesday, December 25, 2012

{ ४४५ } {Dec 2012}





आवाजें लहरों के रोने की सुनकर, घायल हुआ सूनापन
आसमानी शबनम के आँसू से भीगी सुबह, खिले चमन
रातों को कोई गाता रहता करुण-स्वर से सूने पनघट में
बेचैन लिपटने को साहिल से उफ़नाती नदिया का यौवन।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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