Sunday, November 4, 2012

{ ३९४ } {Nov 2012}





तुम न आकाश के कुसुम होते
यों न सपनों से कहीं गुम होते
चाँदनी रात और घोर सन्नाटा
काश कि मेरे करीब तुम होते।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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