Sunday, September 9, 2012

{ ३४५ } {Sept 2012}






आदमी अब साँप हो रहा है
वरदान अभिशाप हो रहा है
सच्चाई ख्वाब मे बदल रही
कहते हैं इन्कलाब हो रहा है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment