Friday, September 28, 2012

{ ३७३ } {Sept 2012}






आँख के कोरों से जब भी तुमने मुझे निहारा
कर दिया मदमस्त मुझे, मदिरा ऐसी पिलाई
आज अपनी तीखी नजरों में भरो ऐसी मदिरा
हम पियें उसको और पडॊ तुम ही तुम दिखाई।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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