Saturday, August 18, 2012

{ ३१२ } {Aug 2012}





खुदा का नूर हो, दिखती जन्नत की हूर हो
दिल की सदा है यही तुम्ही चश-ए-बद्दूर हो
फ़ीकी हर मिसाल तुम जहाँ में हो बेमिसाल
अब हो रहा एहसास, कि तुम्ही मेरे गुरूर हो।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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