Wednesday, July 18, 2012

{ ३०२ } {July 2012}





मंचों पर बैठ कर ही कुछ लोग
साहित्य की सेवा किया करते हैं
मैं भोग हुआ यथार्थ लिखता हूँ
जिससे सुख-दुःख दर्द झरते है||

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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