Saturday, May 26, 2012

{ २८५ } {May 2012}





शर्माती रहेंगीं कलियों की महक तब तक
धुँधली रहेगी सितारों की चमक तब तक
आसमान भी तरसेगा सूरज की किरण को
लहराओगी तुम अपने गेसुओं को जब तक।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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