Friday, April 13, 2012

{ २३७ } {April 2012}





आस भी उर में कसमसा रही है
प्यार की लौ भी थरथरा रही है
बीते रात सुध भी सताती जाये
आँख रह-रह कर डबडबा रही है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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