Sunday, March 4, 2012

{ २०३ } {March 2012}





तुमसे प्यार की बातें अच्छी लगने लगी धीरे-धीरे
बहारों से मुलाकाते अच्छी लगने लगीं धीरे-धीरे
तेरे हुस्न के दिलकश नजारे आसमाँ पर छाये हैं
चाँद और चाँदनी राते अच्छी लगने लगी धीरे-धीरे ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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