Wednesday, January 4, 2012

{ १२२ } {Jan 2012}






रूप तो प्यार के बल जिन्दा है
बिन इसके जीस्त शर्मिन्दा है
हर कोई वैसे तो रहता घर मे
दिल का बिरला ही बाशिन्दा है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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