Friday, November 18, 2011

{ ८२ } {Nov 2011}





रोज-रोज चेहरा बदल दिया करता
हम कभी कुछ हैं तो कभी कुछ हैं
देखता हूँ करीब से जब भी खुद को
आदमी के सिवा हम सभी कुछ हैं ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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