Thursday, November 24, 2011

{ ९१ } {Nov 2011}







मुझे रूप के गुलशन में रहने दो
ज़िन्दगी के परहन में रहने दो
गीत पूरा न कर लूँ जब तक
मुझे अपने अंजुमन में रहने दो।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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