Friday, November 4, 2011

{ ७१ } {Nov 2011}






रूप का एहतराम करती है
प्यार का इन्तजाम करती है
आपके रूप और संयम को
मेरी कविता सलाम करती है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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