Wednesday, October 19, 2011

{ ३८ } { October 2011 }






जो कुछ मेरे दिल में है उसे कहने दीजिए
या फिर मुझे सिर्फ खामोश रहने दीजिए
फूल हूँ, काँटा हूँ या फिर जो कुछ भी हूँ मैं
मुझे आंसूंओ की राह से ही बहाने दीजीये ||

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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