Saturday, October 8, 2011

{ १६ } { October 2011 }







बनाया जिसे हमने गुलशन का माली
उसी ने नोच दिये हैं ये गुल चमन के
परेशान है जमीं देख के अम्बर खफ़ा है
क्यों न बागी बने, हम हैं घायल मन के।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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