Thursday, October 20, 2011

{ ४३ } {Oct 2011}






मेरे नयनों में थी रोशनी की तरह
मेरे तन में थी जिन्दगी की तरह
यह वक्त की बात है इधर से वह
आज गुजरी है अजनबी की तरह ||

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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