Sunday, October 16, 2011

{ २२ } { October 2011 }








आओ खुशबू तुमको मेरे आँगन की बुलाती है
हृदयांगन की कलियाँ खिलने को ललचाती हैं|

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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